Menu
blogid : 21137 postid : 888869

ईमानदारी की पोटली

KANAK
KANAK
  • 39 Posts
  • 5 Comments

सरकारी बाबूजी दफ्तर के
कोने में डेरा जमाता है
मोटा पहनता है चश्मा
गाल में पान दबाता है

कभी फाइल मिली नहीं मेरी
कभी पर्ची मुझे पकड़ाता है
कभी कहता है कल आना
कभी बन्द का बोर्ड लगाता है

कभी हाफ डे ,कभी हड़ताल
कभी जाँच पड़ताल बताता है
कभी कहता है वक़्त नहीं है
कभी बड़ा साहब बुलाता है

टूट गयी है जूती मेरी
दफ्तर आने जाने में
जब पहुँचा मैं मंज़िल पर
बोला देर कर दी आने में

आज़कल ये फॉर्मेट चलता नहीं
हरएक को मौका मिलता नहीं
लिए दिए बिना बन्धु यहाँ पर
पत्ता तक हिलता नहीं

समेटकर ईमानदारी की पोटली
मै घर को अपने आ गया
भ्र्ष्टाचार का मकड़जाल
देश की जड़ों को खा गया

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh