KANAK
- 39 Posts
- 5 Comments
आओ इन बादलों का
एक गोला बनाएं
और ताजा घास पर
पैरों से लुड़काएं
बर्फीले पहाड़ों की
एक कुल्फी बनाएं
और एक सांस में
पूरी चट कर जाएँ
उषा का एक दीपक
घर मुंडेर पर जलाये
और सूरज की गोद
बैठ कर खाना बनाएं
इन लम्बे झरनों में
शदियों तक नहाते रहें
और बब्बर शेर संग बैठ
घंटों बतलाते रहें
कभी बनें बदली काली
और कभी ठंडी फुहार
कभी बनेगे इन्द्रधनुष
कभी पेड़ों की कतार
बरसेंगे बरखा बनकर
बने कभी नदी अन्जान
कभी लहराते खेत बने
और कभी ऊँची मचान
गुफाओं को घरोंदा बनाने
और एक दुनिया नई बसाने
करने मस्ती धूमकेतु के साथ
बोलो चलोगे मेरे साथ
Read Comments